हाल ही में, श्रीमान जी MBBS कर स्वदेश आते हैं
लोगों को इकट्ठा कर
नशा मुक्त जीवन की युक्ति बताते हैं
बीड़ा उठाते हैं
आइये अपने देश को
नशा मुक्त बनाते हैं
इसी सिलसिले में
एक मयखाने पहुंच जाते हैं
टाई को संभालकर जोर से चिल्लाते हैं
मेरे युवा भाइयो गौर से सुनिये
नशे को नही खुशहाली को चुनिए
ये शराब, ये नशा करता है दुर्दशा
कैसे लोग मरते हैं इसको पीकर
सिद्ध करता हूँ आपके सामने
फिर निकालते हैं अपने बैग से २ बीकर
एक बीकर में पानी दूसरे में शराब लेते हैं
और फिर दोनो में कुछ-कुछ केचुए डाल देते हैं
पानी में केचुए मस्ती से छलाँग लगाते हैं
मगर शराब में केचुए बिलबिलाते हैं
कट जाते हैं फट जाते हैं
श्री मान डाक्टर साहब
निशब्द महफ़िल में मुस्कुराते हुए पुछते हैं
बताइए दोस्तो ?
इससे हम किस निष्कर्ष पर आते हैं
सबके मुहं सिले हैं
महफ़िल में सन्नाटा है
तभी कुछ शब्द मौन भंग करते हुए
टूटे - फूटे से
लड़खड़ाते हुये पीछे से आते हैं
डाक्टर साहब!!
इससे पता चलता है कि
शराब पीने से
पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं
मेरे प्यारे दोस्तो
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं
जो सुनना चाहते हैं वही सुनते हैं
जो समझना चाहते हैं वही समझते हैं
और फिर बाद में अपनी नासमझी पर नही
अपनी समझदारी पर रोते हैं
शनिवार, 12 मई 2007
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