शनिवार, 12 मई 2007

लाभ प्रद दोहे

मिश्री बच के चूर्ण से लेओ जलेबी खाय ।
"राघव" निश्चय जानिए पागलपन मिट जाये ॥

हर्र बहेड़ा आंवला चोथी नीम गिलोय !
जो इनका सेवन करें पेट रोग ना होय ॥

जो कोई नियमित रूप से तेल मले नित नहाय ।
"राघव" फिर वो नर कभी नही दवाई खाए ॥

ठंडे जल से हाथ पग सोते पहले धोय ।
"राघव" करो यकीन तुम स्वप्न दोष ना होय ॥
"राघव गीतांजलि से"

कण कण ले चींटी चढ़े गिरती सौ सौ बार ।
रह रह कदम संभालती, हो जाती है पार ॥

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