मिश्री बच के चूर्ण से लेओ जलेबी खाय ।
"राघव" निश्चय जानिए पागलपन मिट जाये ॥
हर्र बहेड़ा आंवला चोथी नीम गिलोय !
जो इनका सेवन करें पेट रोग ना होय ॥
जो कोई नियमित रूप से तेल मले नित नहाय ।
"राघव" फिर वो नर कभी नही दवाई खाए ॥
ठंडे जल से हाथ पग सोते पहले धोय ।
"राघव" करो यकीन तुम स्वप्न दोष ना होय ॥
"राघव गीतांजलि से"
कण कण ले चींटी चढ़े गिरती सौ सौ बार ।
रह रह कदम संभालती, हो जाती है पार ॥
शनिवार, 12 मई 2007
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