उजली निखरी सी एक किरण सी भये भोर उतनी आंगन में
खुशियों की लहरों ने गया वत्सलता का गीत चमन में
मिश्री सी घुल गयी कानो में। बही सुगंधि मस्त पवन में
डूबा गहरे प्रेम सरोवर खोया एसे अपनेपन में
पल-पल छिन-छिन भाव आ राहे इस अलबेले पागल मॅन में
दीख रही थी वही परी अब हर बच्चे में हर बचपन में
जी चाहता है पंख लगाकर उड़ जाऊं में दूर गगन में
उजली निखरी सी एक किरण सी..................
खुशियों की लहरों ने गया ......................
शनिवार, 12 मई 2007
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें